पहली बात स्पष्ट है कि देवली-उनियारा के जिस बूथ पर निर्दलीय प्रत्याशी ने अधिकारी को थप्पड़ मारी थी वहां फर्जी मतदान करवाने का कोई मामला नहीं था।
गाँव के लोग अपनी ग्राम पंचायत को देवली पंचायत समिति से निकालकर उनियारा में जुड़वाने को लेकर चुनाव का बहिष्कार कर रहे थे।
चूंकि अधिकारी चुनाव आयोग का प्रतिनिधि था तो वो लोगों को मतदान करने के लिए समझाइश कर रहा था।
तीन लोग मतदान करने के लिए बूथ में पहुंच गए।बस इसी बात को लेकर विवाद हुआ और निर्दलीय प्रत्याशी ने भागकर अधिकारी को थप्पड़ मार दिया।
3 लोग मतदान के लिए क्यों तैयार हुए यह जांच का विषय है!अभी इस पर बोलना-लिखना उचित नहीं है।
नरेश मीणा के कट्टर समर्थक व विरोधी यह बात जरूर समझ लें कि अधिकारी जाट समाज से है व नरेश भाई मीणा समाज से है लेकिन यहां दोनों अपने-अपने समाज का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे थे।
अधिकारी चुनाव आयोग का प्रतिनिधि है व नरेश राजनेता है।हम हर मुद्दे पर खुलकर लिखते है इसलिए हमारा दायित्व है व लोग उम्मीद भी करते है इसलिए इस मुद्दे पर भी लिख रहे है।
हम गलत को गलत व सही को सही लिखते है और यही हमारी विश्वसनीयता का आधार है।प्रत्याशी द्वारा ड्यूटी के दौरान अधिकारी को थप्पड़ मारना गलत है।हमारी सिर्फ चुनाव आयोग से मांग है कि आपके मातहत अधिकारी पर हमला हुआ है जांच करवाकर उचित कार्यवाही करें।
जाट समाज के क्रांतिकारियों से निवेदन है कि इस मामले को जातिय एंगल न दें।अधिकारी जाट समाज से है इसलिए आपकी मांग चुनाव आयोग से कार्यवाही की मांग तक सीमित रहे।
नरेश भाई के समर्थकों से निवेदन है कि नरेश अकेला लड़ रहा है इसलिए आप लोगों को सलाहकार बनकर मदद करनी चाहिए।नरेश को बोलिये अधिकारी की पुरानी किसी घटना को लेकर अपने द्वारा मारी गई थप्पड़ को बार-बार जस्टिफाई करने का प्रयास करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी न मारे।
युवा हो,राजनीति अभी बहुत कुछ सिखाएगी।4 साल 335 दिन पार्टियों के नेताओं के पीछे घूमकर अंत मे टिकट न मिलने पर रो-धोकर या किसी को थप्पड़ मारकर क्रांतिवीर नहीं बन सकते हो।
अपना स्वतंत्र खुद का जनाधार तैयार करो।पार्टियां टिकट न दें तो फिर खुद के जनाधार के बूते लड़ो।क्षेत्र बदलने,वफादारी बदलने से खुद ही कठघरे में खड़े हो जाते हो!
मैं 4 साल 360 दिन कट्टर समर्थकों से लड़ने का अनुभव रखता हूँ और 3 दिन में समझा देता हूँ।
सामंतियों व मनुवादियों के बड़े-बड़े एक्स हैंडल देखो!तमाम सोशल मीडिया पेज देखो!दोपहर से लगे पड़े है।दोनों समाज की मूर्ख मंडलियों को भटका दिया है।
दो समाजों की लड़ाई का एजेंडा कहीं और से चलाया जा रहा है और फंस गए चंगुल में।विराम दीजिए कल को आपको उनके दूसरे एजेंडे के लिए लड़ना-भिड़ना है!ऊर्जा बचाकर रखिये।
नरेश पहले गांव वालों द्वारा मतदान न करने के निर्णय के साथ थे।समझाइश के बाद मतदान हो गया है।अभी गांव वालों की जायज मांग पर धरने में साथ है। समरावता गांव वालों की समस्या का समाधान हो उसके लिए अग्रिम बधाई!
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